पाकिस्‍तान, श्रीलंका... ब्रिक्‍स सदस्‍यता के लिए लगी होड़, पीएम मोदी के रुख पर रहेगी दुनिया की नजर, जिनपिंग से मिलेंगे?

कजान (रूस): रूस के कजान शहर में 22 से 24 अक्‍टूबर के बीच में ब्र‍िक्‍स सम्‍मेलन होने जा रहा है। इस सम्‍मेलन में हिस्‍सा लेने के लिए पीएम मोदी भी रूस जा रहे हैं। पीएम मोदी के अलावा दुनियाभर के 40 और बड़े नेता भी ब्रिक्‍स सम्‍मेलन में हिस्‍सा लेने

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कजान (रूस): रूस के कजान शहर में 22 से 24 अक्‍टूबर के बीच में ब्र‍िक्‍स सम्‍मेलन होने जा रहा है। इस सम्‍मेलन में हिस्‍सा लेने के लिए पीएम मोदी भी रूस जा रहे हैं। पीएम मोदी के अलावा दुनियाभर के 40 और बड़े नेता भी ब्रिक्‍स सम्‍मेलन में हिस्‍सा लेने पहुंच रहे हैं। ब्रिक्‍स का यह सम्‍मेलन ऐसे समय पर होने जा रहा है जब दुनिया में बहुत अस्थिरता का माहौल है। संघर्ष और संकट बढ़ रहे हैं। इससे दुनिया में अंतरराष्‍ट्रीय सिस्‍टम में बदलाव की मांग तेजी पकड़ रही है। यही वजह है कि दुनिया के करीब 40 देश ब्रिक्‍स में शामिल होने की मांग कर रहे हैं। इनमें भारत के कई पड़ोसी देश जिनमें पाकिस्‍तान, बांग्‍लादेश और श्रीलंका शामिल हैं, मांग कर रहे हैं कि उन्‍हें ब्रिक्‍स की सदस्‍यता दी जाए। ब्रिक्‍स के इस शिखर सम्‍मेलन में 10 नए सदस्‍य देशों को शामिल किया जाना है। प्रमुख दावेदारों में तुर्की भी शामिल है।

भारत ब्रिक्‍स के उन 5 देशों में शामिल है जिन्‍होंने ब्रिक्‍स की स्‍थापना की है। ब्रिक्‍स की स्‍थापना भारत, चीन, रूस, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील ने की थी। इस शिखर सम्‍मेलन में ये देश गंभीर वार्ता करेंगे ताकि उनके मित्र देश इस समूह में शामिल हो सकें। रूस ने नए सदस्‍य देशों के लिए शर्त रखी है कि वे ब्रिक्‍स के सदस्‍य देशों के साथ अच्‍छे संबंध रखते हो, नए सदस्‍य देश ब्रिक्‍स के सदस्‍य देश के खिलाफ प्रतिबंधों का समर्थन नहीं करते हों। साथ ही ब्रिक्‍स के सदस्‍य देश वैश्विक संस्‍थाओं जैसे संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद में विस्‍तार का समर्थन करते हों।

भारत ने कर दिया है पाकिस्‍तान का विरोध


भारत ने रूस के इन शर्तों का सपोर्ट किया है लेकिन उसने नए सदस्‍य का सपोर्ट करने से पहले अपने भी बेंचमार्क तय किए हैं। भारत ने साफ कहा है कि वह तभी ब्रिक्‍स में किसी नए सदस्‍य देश का समर्थन करेगा जब उसका भारत के प्रति शत्रुतापूर्ण व्‍यवहार नहीं होगा। भारत ने अपने इस मानदंड से पाकिस्‍तान की दावेदारी का खुलकर विरोध कर दिया है। वहीं पाकिस्‍तान के सदस्‍यता के आवेदन को चीन का खुलकर समर्थन मिला हुआ है। पाकिस्‍तान के दुश्‍मनी को छोड़ भी दें तो भारत को लगता है कि जिन्‍ना के देश के ब्रिक्‍स में शामिल होने से इस वैश्विक समूह को कोई फायदा नहीं होगा। तुर्की ने कश्‍मीर का मुद्दा संयुक्‍त राष्‍ट्र में नहीं उठाया है, जिससे उसकी सदस्‍यता के दावे पर भारत सकारात्‍मक रुख अपना सकता है।

भारत को यह भी लगता है कि ब्रिक्‍स का चरित्र है कि वह उभरती हुई अर्थव्‍यवस्‍थाओं का समूह है और इसे बरकरार रखा जाना चाहिए। भारत का कहना है कि ब्रिक्‍स को ऐसा मंच नहीं बनाना चाहिए जहां पर पड़ोसियों के बीच भूराजनीतिक विवाद रखे जाएं। विश्‍लेषकों का कहना है कि भारत ब्रिक्‍स को पश्चिम विरोधी मंच नहीं बनने देगा। पीएम मोदी इस सम्‍मेलन में ब्रिक्‍स को वैश्विक जन कल्‍याण और शांति तथा सद्भाव के लिए ताकत बनाना चाहते हैं। भारत ब्रिक्‍स में गुट निरपेक्ष देशों के साथ गठजोड़ बनाएगा। खासकर उन देशों के साथ जिनका पश्चिमी देशों के साथ अच्‍छा संबंध है।


पीएम मोदी और जिनपिंग पर रहेगी नजर


ब्रिक्‍स की बैठक से पहले पुतिन ने पीएम मोदी के बयान को दोहराया और कहा कि ब्रिक्‍स एक पश्चिमी विरोधी समूह नहीं है लेकिन आने वाले समय में यह संगठन वैश्विक आर्थिक विकास को आगे बढ़ाएगा। इस बैठक में दुनिया की नजर पीएम मोदी और जिनपिंग पर रहेगी। माना जा रहा है कि करीब 4 साल के बाद पीएम मोदी और चीनी राष्‍ट्रपति के बीच मुलाकात हो सकती है। हालांकि अभी इसको लेकर कुछ तय नहीं है। दोनों देशों के बीच कई दौर की बातचीत हुई है, सीमा विवाद को हल करने की दिशा में कुछ प्रगति होती दिख रही है।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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